
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से एक बार फिर दिल दहला देने वाली तस्वीर सामने आई है। गुल्लू गांव स्थित गौठान में 15 से ज़्यादा गौवंश की मौत की खबर ने इलाके में सनसनी फैला दी है। इससे पहले समोदा और खरोरा में भी गौवंश की मौत के मामले सामने आ चुके हैं। पिछले दो दिनों में कुल मिलाकर तीन गौठानों में तीन दर्जन से ज़्यादा मवेशियों की मौत हो चुकी है।

स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि गौठानों में ना तो चारे की व्यवस्था है, ना ही मवेशियों को बारिश से बचाने की कोई व्यवस्था की गई है। लगातार भीगने और भूख की वजह से पशुओं की हालत दिन ब दिन बिगड़ती चली गई, जिससे उनकी मौत हुईं। प्रदेश कांग्रेस कमेटी की एक जांच समिति ने गुल्लू गौठान का दौरा किया। समिति के सदस्यों ने मौके पर मौजूद शवों और दुर्दशा की तस्वीरों को दस्तावेज़ी किया और कहा कि वे इस पूरे मामले को लेकर प्रदेश नेतृत्व के सामने रिपोर्ट पेश करेंगे।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी के वरिष्ठ प्रवक्ता सुरेंद्र वर्मा ने कहा है कि केवल पशुपालकों पर एफआईआर करना समस्या समुचित उपाय नहीं है, गैर बीमित पशुओं के मालिकों को चिन्हित करना आसान नहीं है। पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार के दौरान गोबर और गौ मूत्र खरीदी की वजह से गौ वंशी पशु बांध कर रखे जाते थे अब दूसरे गांव और सड़कों पर खुले घूम रहे हैं। कांजी हाउस खाली पड़े हैं। भाजपा की सरकार की गौ संरक्षण को लेकर ना कोई नीति है ना ही नियत। नई व्यवस्था तो छोड़िए पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा छत्तीसगढ़ में स्थापित 10 हजार से अधिक गौठान जिसमें से लगभग 8 हजार गौठान आत्मनिर्भर हो चुके थे, गौठान समिति और महिला स्वयं सहायता समूहों के द्वारा संचालित होने वाली उस सुव्यवस्थित योजना के संचालन में भी यह सरकार नाकाम रही।

भाजपा की सरकार केवल मोटे कमीशन के लालच में गौ-अभ्यारण की बात कर रही है, असलियत यह है कि भाजपा शासित अन्य राज्यों में गौ-अभ्यारण की योजना पूरी तरह असफल हो चुकी है। उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश की डबल इंजन सरकारों में गौ-अभ्यारण योजना दम तोड़ चुकी है। मध्य प्रदेश के आगर मालवा जिले में भाजपा की सरकार चला नहीं पाई और गौ-अभ्यारण को एनजीओ को सौंप दिया है। छत्तीसगढ़ में पूर्ववर्ती कांग्रेस की सरकार के द्वारा स्थापित गौठानो की व्यवस्था को तत्काल बहाल कर गौ सेवा सुनिश्चित किया जाना चाहिए, अन्यथा गौ हत्या के पाप से भारतीय जनता पार्टी की सरकार का पतन सुनिश्चित है।




