छत्तीसगढ़बिलासपुररायपुर

CG Congress: कांग्रेस की राष्ट्रीय प्रवक्ता सुप्रिया श्रीनेत ने कहा नेशनल हेराल्ड मामला भाजपा द्वारा ध्यान भटकाने और तथ्यों को तोड़-मरोड़ करने का एक प्रयास है

रायपुर। कांग्रेस की राष्ट्रीय नेत्री सुप्रिया श्रीनेत ने प्रदेश कांग्रेस मुख्यालय राजीव भवन रायपुर में पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि नेशनल हेराल्ड मामला भाजपा द्वारा ध्यान भटकाने, बरगलाने और तथ्यों को तोड़-मरोड़ करने का एक प्रयास है। देश के सामने मौजूद महत्वपूर्ण मुद्दों से लोगों का ध्यान भटकाना। अपनी विफलताओं से ध्यान भटकाना। स्वतंत्रता संग्राम को तोड़-मरोड़ कर पेश करना और देश की विरासत का अपमान करना।हाल ही में हुए कांग्रेस पार्टी के ऐतिहासिक गुजरात अधिवेशन से बौखलाए मोदी-शाह की जोड़ी ने फिर से कांग्रेस पार्टी पर प्रवर्तन निदेशालय (ED)-अपनी पसंदीदा आपराधिक वसूली मशीन- को छोड़ दिया है। कांग्रेस संसदीय दल की अध्यक्ष श्रीमती सोनिया गांधी और विपक्ष के नेता श्री राहुल गांधी के खिलाफ प्रवर्तन निदेशालय द्वारा दायर तथाकथित आरोप पत्र कुछ और नहीं बल्कि विशुद्ध राजनीतिक षड़यंत्र है।

गांधी परिवार का हर सदस्य- चाहे वह राजनीति में हो या नहीं-भाजपा द्वारा निशाना बनाया जा रहा है।विडंबना यह है कि पहली बार मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप ऐसे मामले में लगाए जा रहे है, जिसमें एक भी पैसा या संपत्ति हस्तांतरित नहीं की गई है। बैलेंस शीट को कर्ज मुक्त बनाने के लिए कर्ज को इक्विटी में बदला जाता है। यह एक आम प्रथा है और पूरी तरह से कानूनी है। जब पैसा ही नहीं है, तो लॉन्ड्रिंग कहां है?ये एक षड़यंत्रकारी राजनीतिक ठगी है।

मोदी सरकार ने ईडी को अपना Election Department बना लिया है और बेशर्मी से और बार-बार प्रतिशोध के लिए इसका दुरुपयोग कर रही है। ईडी के मामलों में सजा की दर सिर्फ 1 प्रतिशत है। इसके अलावा, ईडी ने जो राजनीतिक मामले दर्ज किए है, उनमें से 98 प्रतिश तमामले सत्ताधारी पार्टी के राजनीतिक प्रतिद्वंद्वियों के खिलाफ है।श्रीमती सोनिया गांधी, श्री राहुल गांधी और श्रीमती प्रियंका गांधी वाड्रा के परिवार के खिलाफ मनगढ़ंत मामलों में की जा रही साजिश सरकारी मशीनरी के दुरुपयोग से कम नहीं है। फर्जी और झूठे मामलों के माध्यम से नेतृत्व और उनके परिवारों को निशाना बनाकर, भाजपा सरकार कांग्रेस पार्टी को दबाने की पूरी कोशिश कर रही है – एकमात्र ताकत जो लगातार लोगों के साथ और इस देश की आत्मा के लिए खड़ी रही है। यह लोकतांत्रिक विपक्ष पर सीधा और खतरनाक हमला है। यह प्रधानमंत्री और गृह मंत्री द्वारा राजनीतिक धमकी का एक भद्दा प्रयास है। यह बदले की राजनीति का सबसे बुरा रूप है।चाहे वे हमें कितना भी चुप कराने की कोशिश करें, हम चुप नहीं होंगे। जो लोग दूसरों को डराने की कोशिश करते हैं, वे खुद डरे हुए है। यह एक राजनीतिक साजिश है, और कांग्रेस पार्टी इसका सीधे सामना करेगी। सत्य की जीत होगी।

*नेशनल हेराल्ड के बारे में कुछ तथ्य:*

1. 1937 में पुरूषोत्तम दास टंडन, आचार्य नरेंद्र देव और रफी अहमद किदवई जैसे स्वतंत्रता सेनानियों के साथ, पंडित जवाहर लाल नेहरू ने ब्रिटिश औपनिवेशिक शासन के खिलाफ भारत के स्वतंत्रता संग्राम की मुख्य आवाज के रूप में नेशनल हेराल्ड अखबार की शुरुआत की, जिसके हिंदी और उर्दू संस्करण नवजीवन और कौमी आवाज शीर्षक से प्रकाशित हुए। नेशनल हेराल्ड स्वतंत्रता संग्राम की राष्ट्रीय धरोहर है।

2. अंग्रेजों को इस अखबार से इतना खतरा महसूस हुआ कि उन्होंने 1942 के भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान नेशनल हेराल्ड पर प्रतिबंध लगा दिया और यह प्रतिबंध 1945 तक चला।

3. एसोसिएटेड जर्नल्स लिमिटेड (।AJL) की स्थापना 1937-38 में हुई थी। एजेएल की स्थापना मूल रूप से एक पब्लिक लिमिटेड न्यूजपेपर कंपनी के रूप में की गई थी। इसका उद्देश्य संघर्ष का मुखपत्र बनना था, न कि मुनाफा कमाना।

4. एजेएल के पास छह शहरों-दिल्ली, पंचकूला, मुंबई, लखनऊ, पटना और इंदौर में अचल संपत्तियां हैं, लेकिन लखनऊ एकमात्र फ्रीहोल्ड संपत्ति है। बाकी संपत्तियां अखबारों को प्रकाशित करने के लिए लीज/आवंटित की गई है। आवंटन के समय, शर्त यह थी कि लखनऊ को छोड़कर, जो एक फ्रीहोल्ड संपत्ति है, इन्हें बेचा नहीं जा सकता। समय के साथ एजेएल को घाटा हुआ और कर्ज बढ़ता गया, जिसके कारण इसका संचालन अस्थायी रूप से निलंबित कर दिया गया। यह आरोप कि एजेएल के पास हजारों करोड़ रूपये की अचल संपत्ति है, निराधार है क्योंकि उक्त संपत्ति केवल मीडिया संबंधी चीजों के लिए इस्तेमाल हो सकती थी।

5 संपत्तियों में से केवल लखनऊ एकमात्र फ्रीहोल्ड संपत्ति है। भारी वित्तीय घाटे के कारण, एजेएल और नेशनल हेराल्ड कर्मचारियों के वेतन, वीआरएस बकाया, कर और अन्य देनदारियों का भुगतान नहीं कर सके।

6. कांग्रेस पार्टी ने 2002 से 2011 के बीच संस्था को बचाने के लिए बैंक चेक के माध्यम से 100 छोटे-छोटे किस्तों में 90 करोड़ रूपये का भुगतान किया। अखबार की खराब वित्तीय स्थिति के कारण नेशनल हेराल्ड के कर्मचारियों और कर्मियों को वेतन मिलने में बहुत देरी हो रही थी। कांग्रेस पार्टी द्वारा दिए गए इस पैसे का इस्तेमाल वेतन, पीएफ, वीआरएस, ग्रेच्युटी और लंबित बिजली बिलों के भुगतान में किया गया। वर्षो से कांग्रेस इस संस्था का समर्थन करती रही है, क्योंकि वह नेशनल हेराल्ड को सिर्फ एक अखबार नहीं बल्कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम, गणतंत्र के मूल्यों और कांग्रेस पार्टी की विचारधारा का जीवंत प्रतीक मानती है।

7. कांग्रेस पार्टी स्वतंत्रता आंदोलन के प्रतीक एजेएल को पुनर्जीवित करने के लिए प्रतिबद्ध थी और है। हमारे संविधान के अनुच्छेद 51 ए(बी) में कहा गया हैः भारत के प्रत्येक नागरिक का यह कर्तव्य होगा कि वह उन महान आदर्शों को संजोए और उनका पालन करे, जिन्होंने हमारे राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम को प्रेरित किया। इसके बाद कंपनी और उसके समाचार पत्रों को पुनर्जीवित करने के लिए एजेएल का पुनर्गठन करना पड़ा, और इसलिए कानूनी सलाह लेने के बाद, 2010 में यंग इंडियन का गठन किया गया, जो एक गैर-लाभकारी कंपनी है (कंपनी अधिनियम, 1956 के तहत धारा 25 और अब कंपनी अधिनियम (संशोधन) 2013 के तहत धारा 8 है।) यंग इंडियन लिमिटेड के 4 शेयर धारक थे, ये सभी पार्टी के वरिष्ठतम पदाधिकारी थे- सोनिया गांधी (तत्कालीन AICC अध्यक्ष), स्वर्गीय मोतीलाल वोरा (तत्कालीन AICC कोषाध्यक्ष), स्वर्गीय ऑस्कर फर्नांडीस (तत्कालीन AICC महासचिव), राहुल गांधी (तत्कालीन AICC महासचिव) और दो गैर-शेयरधारक निदेशक सैम पित्रोदा और सुमन दुबे।

8. चूंकि AJL संकट में थी, इसलिए यंग इंडियन के माध्यम से 90 करोड़ रुपये के लोन को इक्विटी में बदल दिया गया। कोई भी निदेशक, कोई भी शेयरधारक वितीय लाभ नहीं उठा सकता है या नहीं उठा पाया है कोई वेतन, लाभांश या लाभ अर्जित नहीं किया जा सकता है, भले ही यंग इंडियन बंद हो जाए। यंग इंडियन लिमिटेड कंपनी अधिनियम, 2013 के तहत धारा 8 के तहत एक गैर-लाभकारी कंपनी है, और इसलिए यह अपने किसी भी शेयरधारक या निदेशक को लाभ, लाभांश या वेतन में एक पैसा भी नहीं दे सकती है। श्रीमती सोनिया गांधी या श्री राहुल गांधी या यंग इंडियन लिमिटेड के किसी भी अन्य निदेशक को एक भी रुपया नहीं मिला।

9. AJL भारी कर्ज में डूबी हुई और घाटे में चल रही कंपनी थी। यह कर्ज वसूल नहीं किया जा सकता था। जब यंग इंडियन ने AJL की मदद करने का प्रयास किया, तो उसने वास्तव में एक ऐसा लोन खरीदा जिसकी वसूली नहीं की जा सकती थी और ऐसा उसने कर्ज को इक्विटी में बदलकर कंपनी को पुनर्जीवित करने के लिए किया। संपूर्ण दिवालियापन संहिता इसी सिद्धांत पर आधारित है और यह कंपनियों को पुनर्जीवित करने के लिए भारत (NCLT) सहित एक सुस्थापित वैश्विक तरीका है। इसके पहले भी उदाहरण हैं।उदाहरण के लिए(i) रुचि सोया का कर्ज माफ कर दिया गया और बाबा रामदेव की पतंजलि ने इसे खरीद लिया।(ii) मोदी सरकार ने वोडाफोन के 36,000 करोड़ रुपये माफ कर दिए और यहां तक कि उसका स्वामित्व भी अपने हाथ में ले लिया, जो अब 22.6 प्रतिशत से बढ़कर 48.99 प्रतिशत हो गया है।

10. भाजपा और उसका तंत्र AJL की संपत्तियों के मूल्य के बारे में भी झूठ बोलता है, जो 5000 करोड़ रुपये का कुछ काल्पनिक झूठ है, यह आंकड़ा उनकी सुविधा के अनुसार बदलता रहता है। वास्तविकता यह है कि मोदी सरकार के आयकर विभाग ने इसकी सभी संपत्तियों का मूल्य 413 करोड़ रुपये ओका है।

11. 2013 में, सुब्रमण्यम स्वामी ने अदालत में एक मामला दायर किया, जिसे उन्होंने 2020 तक आगे बढ़ाया। अजीब बात यह है कि स्वामी ने अपनी खुद की जिरह पर रोक लगाने की मांग की

12. इससे पहले, 2012 में. सुब्रमण्यम स्वामी की चुनाव आयोग में की गई शिकायत को खारिज कर दिया गया था। चुनाव आयोग ने फैसला सुनाया कि जनप्रतिनिधित्व अधिनियम की धारा 29 (बी) और 29 (सी) के तहत, इस बात पर कोई प्रतिबंध नहीं है कि कोई राजनीतिक दल अपने फंड का उपयोग कैसे कर सकता है। कांग्रेस ने आधिकारिक फाडलिंग में ऋण की घोषणा की थी और लेनदेन को सार्वजनिक किया था।

13. अगस्त 2015 में मामला ED को सौंपा गया और ED ने फाइल को रिकॉर्ड Par बंद कर दिया। मोदी सरकार ने सितंबर 2015 में तत्कालीन ED निदेशक श्री राजन कटोच को मामले से हटा दिया, जो राजनीतिक प्रतिशोध का स्पष्ट उदाहरण है।

14. कुछ साल बाद, 2021 में जब ED भाजपा की प्रत्यक्ष राजनीतिक जबरन वसूली मशीन बन गई तो मोदी-शाह ने ED के माध्यम से सरकार से मामला दर्ज करा दिया।

15. 2023 में ED ने एक अंतरिम कुर्की आदेश जारी किया, जिसकी पुष्टि 10 अप्रैल 2024 को एक न्यायाधिकरण ने की। तब म्क् के पास आरोपपत्र दाखिल करने के लिए 365 दिन थे। 365वें और अंतिम दिन, 9 अप्रैल 2025 को ईडी ने आरोपपत्र दाखिल किया, जिसकी रिपोर्ट केवल मीडिया में आ रही है, लेकिन आरोप पत्र की विषय-वस्तु अभी तक सार्वजनिक नहीं हुई है।

16. अगर कोई सबूत या वास्तविक गड़बड़ी होती, तो सरकार को आखिरी दिन तक इंतजार नहीं करना पड़ता। यह देरी एक ऐसे मामले के लिए हताशा को दर्शाती है, जो बहुत ही तुच्छ आधार पर है और मोदी सरकार के नैतिक-राजनीतिक दिवालियापन की बू भी आती है।

17. एक सफल पुनर्गठन के बाद AJL नेशनल हेराल्ड और नवजीवन अखबारों को छापता और प्रकाशित करता है और कौमी आवाज को ऑनलाइन प्रकाशित करता है। AJL अंग्रेजी, हिंदी और उर्दू में विभिन्न वेबसाइट और कई सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म का प्रबंधन करता है और राष्ट्रीय स्तर पर इसकी अच्छी प्रिंट और डिजिटल उपस्थिति है।

18. नेशनल हेराल्ड अखबार में सरकारी विज्ञापनों को लेकर भाजपा द्वारा एक नया झूठा विवाद खड़ा किया जा रहा है। यह सबसे मूर्खतापूर्ण तर्क है। इस तर्क के अनुसार, भाजपा की राज्य सरकारें और केंद्र सरकार आरएसएस से जुड़े पंचजन्य और ऑर्गनाइजर या भाजपा के तरुण भारत में विज्ञापन क्यों देती हैं? अखबारों और टीवी चैनलों पर सरकारी विज्ञापन एक आम बात है। वास्तव में भाजपा की मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ सरकारों को केरल के मलयालम अखबारों में हिंदी में विज्ञापन देने के बारे में स्पष्टीकरण देना चाहिए। कांग्रेस पार्टी इस मामले को अदालतों में ले जाएगी लेकिन हम मोदी सरकार से डरने से इनकार करते हैं।

19. एजेएल स्वतंत्रता संग्राम के मुखपत्र के रूप में अपनी भूमिका से अभिन्न रूप से जुड़ा हुआ है। भारत के संविधान के अनुच्छेद 49 में स्वतंत्रता संग्राम की विरासत को संरक्षित करना प्रत्येक भारतीय का कर्तव्य है। कई वर्षों तक, यह कंपनी जो लाभ कमाने के लिए नहीं बल्कि भारतीय गणराज्य के मूल्यों को संरक्षित करने और बनाए रखने के लिए चलाई गई थी। भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने समय-समय पर इस धरोहर को बचाया। कानूनी सलाह के आधार पर, कर्ज में डूबी इस वित्तीय रूप से दिवालिया कंपनी को इस पूरी तरह से वैध मार्ग से पुनर्जीवित करना पड़ा। यह पुनरुद्धार की एक सफल कहानी है, न कि अनियमितता।

20. भाजपा, जिसके पूर्वजों ने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान भारतीयों के खिलाफ अंग्रेजों का साथ दिया था, और जो स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास को मिटाने पर तुली हुई है, वह स्वतंत्रता संग्राम और विशेष रूप से स्वतंत्रता संग्राम में कांग्रेस पार्टी की भूमिका को कलंकित करने के लिए दुष्प्रचार का इस्तेमाल कर रही है। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के इस जीवित स्मारक को बदनाम करने की कोशिश की है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button