टीचर्स डे के पहले रविशंकर यूनिवर्सिटी योग विभाग में शिक्षा हुई तार–तार, जातिगत रूप से प्रताड़ित करते हुए कुछ छात्रों को परीक्षा में दिए सिर्फ 2 नंबर

रायपुर। पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय के स्वामी विवेकानंद स्मृति तुलनात्मक धर्म दर्शन एवं योग अध्ययनशाला के चतुर्थ सेमेस्टर के छात्रों ने महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री को लिखित शिकायत किया है जिसमें चार छात्रों को पद का दुरुपयोग कर एटीकेटी लाकर और उदाहरण प्रस्तुत करने की बात कहकर मानसिक रूप में पू्र्व से प्रताड़ित किया जा रहा था।

छात्रों ने बताया कि 11 छात्रों को आंतरिक परीक्षा में अनुत्तीर्ण कर दिया गया और शेष 7 को बाद में उत्तीर्ण कर दिया गया और बाकी चार छात्रों को एटीकेटी दिया गया जबकि सभी छात्र प्रायोगिक सैद्धांतिक परियोजना कार्य एवं मुख्य परीक्षा में अच्छे अंक प्राप्त कर प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण हो रहे हैं वही अर्धशासकीय कर्मचारी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता को जानबूझकर छात्रवृत्ति दी गई तथा अतिथि व्याख्याता चितरंजन साहू द्वारा एक नियमित छात्र की छात्रवृत्ति रोक दी गई बाद में उच्च अधिकारीयों से शिकायत के बाद छात्रवृति मिला जब भी कोई प्रयोग परीक्षा होता था तो आने वाले अधिकारियों के लिए चाय नाश्ता और गिफ्ट के लिए भी पैसा सभी छात्रों को मांगा जाता था
इन चार छात्रों को विभाग के होडिक्स बैनर पोस्टर लगाने पर पास करने के लिए कहा गया था ऐसा नहीं देने पर एटीकेटी दे दिया गया साथ ही अंग्रेजी मीडियम छात्रों को अंग्रेजी में ठीक से नहीं समझते थे जबकि एडमिशन के समय में संस्कृत, हिंदी और अंग्रेजी में पढ़ने की बात कहा गया था इन सब के चलते कई छात्र आधे में ही पढ़ाई छोड़कर चले गए जिससे हर साल सीट खराब होते जा रहा है और साथ ही अन्य महाविद्यालयों एवं विश्वविद्यालयो में प्रवेश योग के छात्र ले रहे है। योग विभाग में आज तक न तो विश्व योग दिवस मनाया गया और न ही विषय विशेषज्ञों को बुलाकर कोई सेमिनार आयोजित किया गया, विभागाध्यक्ष से यदि कुछ कहा भी जाता है तो उसे अनसुना कर दिया जाता है।
योग विभाग के पूर्व छात्रों द्वारा अतिथि व्याख्याताओं पढ़ाई लिखाई और अन्य गतिविधि के खिलाफ लिखित शिकायत किया गया था लेकिन कुलपति द्वारा कोई कार्रवाई नहीं की गई, आज भी इन अतिथि व्याख्याताओं द्वारा यही कार्य दोहराया जा रहा है और कई बच्चों के भविष्य के साथ खिलवाड़ किया जा रहा है। महामहिम राज्यपाल, मुख्यमंत्री एवं उच्च शिक्षा मंत्री से अनुरोध किया गया कि ऐसे शिक्षकों के विरुद्ध सख्त कानूनी कार्रवाई की जाए तथा भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए दिशा-निर्देश जारी करने का आग्रह2 किया गया।